Rahul Gandhi News: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिर गरजे राहुल, बोले-आखिरी सांस तक करता रहूंगा...
Rahul Gandhi Latest News: मानहानि मामले (Defamation Case) में अपनी सजा पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi )ने एक बार फिर भारतीय मूल्यों की रक्षा के लिए अपनी अपनी प्रतिबद्धता जताई. कोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा कि "चाहे कुछ भी हो, मेरा कर्तव्य वही रहेगा. मैं असली भारत के विचार की रक्षा करने के लिए अपना काम करता रहूंगा.
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में बोलते हुए राहुल गांधी ने इस फैसले को सत्य की जीत करार दिया. उन्होंने कहा कि यह परिणाम अपरिहार्य था. इस मौके पर उन्होंने देशवासियों के उनके स्थायी समर्थन और स्नेह के लिए आभार व्यक्त किया.
खड़गे ने राहुल की उपलब्धि बताई
वहीं, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भारतीय जनता, संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की जीत बताया. उन्होंने सत्य, राष्ट्र कल्याण, युवाओं के हितों और महंगाई के खिलाफ लड़ाई के प्रति राहुल के समर्पण को रेखांकित किया. खड़गे ने कहा कि यह जीत लोगों की प्रार्थनाओं और आकांक्षाओं की प्रतिध्वनि है, जो उनकी सामूहिक उपलब्धि का प्रतीक है.
सरकार के फिर घेरेंगे राहुल
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की पैरवी करने वाले वरिष्ठ नेता वकीलों में से एक अभिषेक मनु सिंघवी ने कांग्रेस नेता की संसद में शीघ्र वापसी की संभावना जताई. उन्होंने अनुमान लगाया कि राहुल गांधी सरकार के समक्ष महत्वपूर्ण सवाल उठाएंगे.
निचली अदालत के फैसले में कोर्ट ने बताई खामी
जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और पीवी संजय कुमार की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राहुल गांधी को अधिकतम दो साल की सजा देने के ट्रायल कोर्ट के फैसले विवेकहीन बताया. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498 और 499 के तहत अपराध में अधिकतम दो साल की कैद, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता जो कारावास, जुर्माना या दोनों के बीच चयन करने की अनुमति देता है, उनमें से मजिस्ट्रेट ने सबसे गंभीर दंड का विकल्प चुना, लेकिन उनके फैसले में पर्याप्त औचित्य का अभाव है.
अदालत ने सजा के दूरगामी प्रभावों को स्वीकार करते हुए कहा कि निचली अदालतों के फैसले से व्यक्ति के सार्वजनिक जीवन में भाग लेने के अधिकार और मतदाताओं की पसंद दोनों पर असर पड़ा है. अधिकतम सजा के लिए वैध तर्क की अनुपस्थिति को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अंतिम निर्णय आने तक दोषसिद्धि के कार्यान्वयन को स्थगित कर दिया जाना चाहिए.
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