Rahul Gandhi Defamation Case: राहुल के खिलाफ फैसले पर SC ने लगाई रोक, संसद वापसी का रास्ता हुआ साफ
Rahul Gandhi Latest News: आपराधिक मानहानि मामले (Criminal Defamation Case) में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले के साथ ही संसद में उनकी वापसी का रास्ता साफ हो गया. इसके साथ ही मौजूदा मानसून सत्र में राहुल गांधी के भाग लेने की संभावना बढ़ गई है. बशर्ते कि लोकसभा सचिवालय उनकी सदस्यता बहाल कर दे.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi)को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बड़ी राहत देते हुए उनकी सदस्यता बहाल कर दी है. |
गौरतलब है कि इस मामले के कारण राहुल गांधी संसद के दो सत्रों में शामिल हो पाए थे. आपको बता दें कि यह मामला 2019 का है. इस दौरान राहुल ने कर्नाटक में एक राजनीतिक रैली के दौरान कहा था कि हर घोटाले बाज का "मोदी उपनाम" ही क्यों होता है. तभी से यह मामला उनके खिलाफ चल रहा था.
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल होंगे राहुल गांधी?
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभापति से राहुल गांधी को सदन में उपस्थित होने की अनुमति देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि हमने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की है और उनसे आग्रह किया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें राहत दिए जाने के बाद लोकसभा में गांधी की सदस्यता बहाल की जाए. हम चाहते हैं कि राहुल गांधी लोकसभा में सरकार के खिलाफ 'अविश्वास प्रस्ताव' पर बोलें.' चौधरी ने यह भी कहा कि "हमें डर है कि सरकार बाधाएं पैदा कर सकती है और हमने स्पीकर से राहुल गांधी की अयोग्यता को रद्द करने में देरी नहीं करने का आग्रह किया है".
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निचली अदालतों के फैसले को कोर्ट ने किया खारिज
राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी.आर. के नेतृत्व वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह राहत दी है. इस बेंच में न्यायमूर्ति गवई, पी.एस. नरसिम्हा, और संजय कुमार। शामिल थे. अपना फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति नरसिम्हा और संजय कुमार ने कहा कि गुजरात ट्रायल जज ने राहुल गांधी को उनकी कथित टिप्पणियों के लिए फटकार लगाने के साथ ही अधिकतम दो साल की कैद की सजा देने के लिए कोई ठोस तर्क देने में विफल रहे. अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता जो कारावास, जुर्माना या दोनों के बीच चयन करने की अनुमति देता है, उनमें से मजिस्ट्रेट ने सबसे गंभीर दंड का विकल्प चुना, लेकिन उनके फैसले में पर्याप्त औचित्य का अभाव था.
हाईकोर्ट के फैसले में बताई ये खामी
वहीं, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने 120 पन्नों के व्यापक फैसले के बावजूद अधिकतम सजा के पीछे पर्याप्त कारणों को बताने में असफल रहा. इसके बावजूद दोषसिद्धि के कारण राहुल गांधी को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 (3) के तहत संसद सदस्य के रूप में आठ साल के लिए अयोग्य घोषित कर दिया.
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कोर्ट फैसला देने से पहले इन मुद्दों पर करें विचार
राहुल गांधी को राहत देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति गवई ने अधिकतम सजा देने के लिए स्पष्ट कारण प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि खासकर उन मामलों में जजों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए, जब अपराध गैर-संज्ञेय, जमानती और समझौता योग्य हो. अदालत ने रेखांकित किया कि अयोग्यता का प्रभाव व्यक्ति से परे तक फैला है, जो उनके अधिकारों और मतदाताओं के प्रतिनिधित्व दोनों को प्रभावित करता है.
राहुल गांधी को भी दी नसीहत
इस मौके पर कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक विमर्श असहमति की इजाजत देता है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि राहिुल गांधी की कथित टिप्पणियां "अच्छे स्वाद में नहीं थीं." कोर्ट ने राहुल को एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में उनकी जिम्मेदारी की भी याद दिलायी और सार्वजनिक भाषणों के दौरान सावधानी बरतने का आग्रह किया. गौरतलब है कि यह सलाह अदालत ने उन्हें तब भी दी थी, जब राहुल गांधी ने पहले आम चुनावों के दौरान अपनी टिप्पणियों के लिए माफ़ी मांगी थी.
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